समरेन्द्र नाथ सेन (१ अक्टूबर, १९१८ - १३ अप्रैल, १९९२) एक भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होने भारतीय विज्ञान के इतिहास पर अनेक ग्रन्थ एवं शोधपत्र प्रकाशित किए। [1]बांग्ला, संस्कृत और अंग्रेजी सहित फ्रेंच पर उनका अधिकार था। विज्ञान के लोकप्रियकरण के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान है।

समरेन्द्र नाथ सेन का जन्म १ अक्टूबर १९१८ को कोलकाता के श्यामबाजार के निकट सुरेन्द्र नाथ सेन और उषा सेन के घर हुआ था। सन १९३६ में उन्होने विद्यासागर कॉलेज से ISc परीक्षा उतीर्ण की तथा उसी महाविद्यालय से १९३८ में बी एस-सी की परीक्षा उतीर्ण की। १९४० में उन्होने युनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइन्स से एम.एससी किया जिसमें वे प्रथम स्थान पर आये और स्वर्ण पदक जीता।

१९४१ में वे कलकता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में भौतिकी के व्याख्याता के रूप में नियुक्त हुए जहाँ उन्होने १९४७ तक अपनी सेवाएँ दी। वे १९४१ से १९४७ तक 'साइन्स ऐण्ड कल्चर जर्नल' के संयुक्त सम्पादक रहे। सन १९४६ में उन्होने बांग्ला में 'आनविक बम' नामक एक पुस्तक लिखी जो सम्भवतः उनकी प्रथम प्रकाशित साहित्यिक रचना है।

मेघनाद साहा ने सन १९४७ में समरेन्द्र सेन को IACS के रजिस्ट्रार का पद सम्भालने के लिए उत्साहित किया था। किन्तु सेन ने दो दो वर्ष का अवकाश लेकर पेरिस स्थित यूनेस्को में विज्ञान लोकप्रियकरण के विशेषज्य के रूप में कार्य किया। सौभाग्य से १९४६ से १९४८ के कालखण्ड में जोसेफ नीधम इस संस्था के प्राकृतिक विज्ञान प्रभाग के प्रमुख थे। समरेन्द्र सेन उनके सम्पर्क में आये और भारतीय परिप्रेक्ष्य में विज्ञान के इतिहास पर काम करने के लिए प्रेरित हुए। इसके अनेक वर्ष बाद १९६२ में उन्होने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में नीधम के अधीन चार मास तक विज्ञान के इतिहास का अध्ययन किया। इससे उनको बहुत लाभ हुआ।

युनेस्को से स्वदेश आने पर वे IACS से पुनः जुड़े और १९७८ तक अपनी सेवाएँ दीं और वहाँ से सेवानिवृत्त हुए। इस पद पर बहुत अधिक प्रशासनिक बोझ होने के बावजूद वे कार्यालय के कार्य से निवृत्त होकर शाम को विज्ञान के इतिहास पर अपना अनुसन्धान करते एवं लेखन कार्य करते थे। सन्दर्भ सामग्री के रूप में वे IACS के पुस्तकालय एवं एशियाटिक सोसायटी, राष्ट्रीय पुस्तकालय, विज्ञान महाविद्यालय, बोस संस्थान, साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान एवं रामकृष्ण मिशन संस्कृति संस्थान के पुस्तकालयों का उपयोग करते थे।

सेन की सबसे महत्वपूर्ण कृति उनके द्वारा बांग्ला में लिखी गयी "बिज्ञानेर इतिहास" (विज्ञान का इतिहास) है। इसका प्रथम भाग १९५५ में प्रकाशित हुआ था जिस पर उन्हें पश्चिम बंगाल सरकार से रवीन्द्र पुरस्कार तथा १९५८ में दिल्ली विश्वविद्यालय से नरसिंह दास पुरस्कार मिला था। इसका द्वितीय भाग सन १९५८ में प्रकाशित हुआ। उन्होने बांग्ला में दो अन्य पुस्तकें भी लिखीं, "बिज्ञान प्रबेश" (विज्ञान प्रवेश, १९५९), तथा " बिज्ञानाचार्य डॉक्टर महेन्द्रलाल सरकार" (1985)। १९५२ तथा १९८६ के बीच उन्होने अकेले या सम्मिलित रूप से छः पुस्तकों की रचना की। साथ के दशक के आरम्भिक काल से लेकर अपने अन्तिम दिन तक उन्होने विज्ञान के इतिहास से सम्बन्धित ३० से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए।

१३ अप्रैल, १९९२ को उनका देहान्त हो गया।

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3. एस एन सेन, आणबिक बम (Atomic Bomb), बांग्ला में (1946).

4. एस एन सेन, बिज्ञानेर इतिहास (विज्ञान का इतिहास), बांग्ला में, भाग -१ (1955), भाग-२ (1958).

5. एस एन सेन,, बिज्ञान प्रबेश, बांग्ला में, (1959).

6. एस एन सेन, विज्ञानाचार्य डॉ महेन्द्रलाल सरकार, बांग्ला में (1985).

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