मौनी अमावस्या
माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इसी कारण भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा स्नान व ध्यान करते है।[1][2][3]
मौनी अमावस्या | |
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आधिकारिक नाम | मौनी अमावस्या व्रत |
अनुयायी | हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी |
प्रकार | हिन्दू |
तिथि | माघ मास की अमावस्या |
मौनी अमावस्या पर लोग अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा। ऐसे में आइए आपको बताएंगे कि मौनी अमावस्या पर पितरों के पिंडदान विधि के बारे में - मौनी अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद[4]
पौराणिक संदर्भ
संपादित करेंसंगम में स्नान के संदर्भ में एक अन्य कथा का भी उल्लेख आता है, वह है सागर मंथन की कथा। कथा के अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उस समय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा-तानी शुरू हो गयी इससे अमृत की कुछ बूंदें छलक कर [[ प्रयागराज ] हरिद्वार नासिक और उज्जैन में जा गिरी। यही कारण है कि यहाँ की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। यह तिथि अगर सोमवार के दिन पड़ती है तब इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। अगर सोमवार हो और साथ ही महाकुम्भ लगा हो तब इसका महत्व अनन्त गुणा हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है सत युग में जो पुण्य तप से मिलता है द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अन्नंत पुण्यदायी होगा। इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए। इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है अर्थात मौन अमवस्या। चूंकि इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। वास्तव में शिव और विष्णु दोनों एक ही हैं जो भक्तो के कल्याण हेतु दो स्वरूप धारण करते हैं इस बात का उल्लेख स्वयं भगवान ने किया है। इस दिन पीपल में आर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।
मौनी अमावस्या 2025
संपादित करें2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने और धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए एकत्रित होंगे। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। [5] शुभ मुहूर्त : सुबह 05:25 से सुबह 06:18
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान[6]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Mauni Amavasya 2024: Date, Tithi, Significance and Things to Avoid". The Economic Times. 15 January 2024. अभिगमन तिथि 20 November 2024.
- ↑ "Mauni Amavasya 2024: Date, significance, puja timings, rituals and all you want to know". hindustantimes.com. 9 February 2024. अभिगमन तिथि 20 November 2024.
- ↑ "Mauni Amavasya: A sacred opportunity for inner cleansing and reflection". The Times of India. 7 February 2024. अभिगमन तिथि 24 November 2024.
- ↑ "मौनी अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद".
- ↑ "मौनी अमावस्या 2025". Jan Bhakti. 2 January 2025. अभिगमन तिथि 2 January 2025.
- ↑ "मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान".