भाऊ दाजी

भारतीय दाक्तर और संस्कृत के विद्वान

रामचन्द्र विट्ठल लाड (1824–1874) भारत के एक चिकित्सक, संस्कृत के विद्वान तथा एक पुरातनिक थे। वे भाऊ दाजी लाड नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं।

भाऊ दाजी

आरम्भिक जीवन एवं शिक्षा

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भाऊ दाजी का जन्म १८२२ ई में गोवा के मन्ड्रेम (मंजरी) में एक गौड़ सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी विद्यालयी शिक्षा एल्फिन्स्टोन कॉलेज में हुई। उसके पश्चात उसी कॉलेज में वे शिक्षक नियुक्त हुए। उसके बाद उन्होंने ग्रान्ट मेडिकल कॉलेज से आयुर्विज्ञान की शिक्षा ली। वे इस कॉलेज के प्रथम स्नातक बैच के छात्र थे (१८५ ई)।

१८५१ में उन्होंने मुम्बई में चिकित्सा कार्य आरम्भ किया और अत्यन्त सफल हुए। उन्होंने संस्कृत में उपलब्ध आयुर्वेद का भी अध्ययन किया। उन्होंने उन औषधियों का भी परीक्षण किया जो प्राचीन काल से भारतीय समाज में अपनी अत्यधिक शक्ति के लिये प्रसिद्ध थीं। इसी तारतम्य में उन्होंने कुष्टरोग की दवा का परीक्षण किया।[1]

वे एक अच्छे शिक्षाविद थे। उन्होंने स्त्री-शिक्षा के लिये भी कार्य किया। उनके नाम से एक कन्या विद्यालय स्थापित किया गया जिसका खर्च उनके मित्रों और प्रशंसकों ने उठाया। [1]

वे उस समय के भारत के राजनैतिक गतिविधियों में भी भाग लेते थे। इंग्लैण्ड, फ्रान्स, जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका की अनेक संस्थाओं ने उन्हें सदस्यता प्रदान की थी। रॉयल एशियाटिक सोसायटी के मुम्बई शाखा में उन्होंने अनेकों शोधपत्रों का योगदान किया।

सन १८७४ में उनका देहान्त हुआ। [1]

 
डॉ भाऊ दाजी लाड संग्रहालय, मुम्बई

मुम्बई के विक्टोरिया एवं अल्बर्ट संग्रहालय का नाम बदलकर १९७५ में भाऊ दाजी लाड संग्रहालय कर दिया गया।